भीतर की जंग: आप किस भेड़िये को भोजन देंगे?

 

भीतर की जंग: आप किस भेड़िये को भोजन देंगे?

भीतर की जंग: आप किस भेड़िये को भोजन देंगे?


आग के किनारे एक कहानी

एक शाम, एक बुद्धिमान बूढ़े चेरोकी (Cherokee) ने अपने छोटे पोते के साथ अलाव के पास बैठकर एक ऐसी कहानी साझा की, जो उम्र भर उसकी आत्मा में गूंजती रहेगी। आकाश में टिमटिमाते तारे और लकड़ी की चटकती आवाज़ के बीच, वह वृद्ध व्यक्ति जीवन की एक ऐसी सच्चाई पर बात कर रहा था, जिससे हम सब कभी न कभी जूझते हैं।

उसने पोते की आंखों में झांकते हुए कहा,
"बेटा, हमारे भीतर हर समय एक जंग चलती रहती है। दो भेड़िये आपस में लड़ते रहते हैं।"

हमारे भीतर के दो भेड़िये

थोड़ी देर रुककर उन्होंने कहा,
"पहला भेड़िया बुरा है। यह क्रोध, ईर्ष्या, जलन, दुख, पछतावा, लालच, घमंड, आत्म-दया, अपराधबोध, नाराज़गी, हीनता, झूठ, झूठा अभिमान, श्रेष्ठता और अहंकार से भरा होता है।"

पोता चुपचाप सुनता रहा। उसे ऐसा लगने लगा जैसे ये बातें उसकी अपनी भावनाओं को छू रही हों। उसे भी कभी-कभी इन नकारात्मक भावनाओं ने घेरा था। यह लड़ाई अब उसे कल्पना नहीं, बल्कि हकीकत लग रही थी।

फिर दादा की आवाज़ में एक कोमलता आ गई।

"दूसरा भेड़िया अच्छा है। यह आनंद, शांति, प्रेम, आशा, संतोष, विनम्रता, दयालुता, उदारता, सहानुभूति, सत्य, करुणा और विश्वास से भरा होता है। यह भेड़िया संतुलन और उपचार की भावना के साथ रहता है।"

वह सवाल जो सबसे ज़रूरी है

पोते का दिल इस अच्छे भेड़िये की कल्पना से भर उठा। उसने इस भेड़िये को अपने अंदर जीवित महसूस किया—जैसे सूर्य की किरणें दिल को गर्म कर रही हों, जैसे कोई मीठी हवा आत्मा को सहला रही हो। उसने थोड़ी देर सोचा, फिर धीरे से पूछा:

"दादा, इन दोनों में जीतता कौन है?"

बूढ़े व्यक्ति ने मुस्कराते हुए उत्तर दिया,
"बेटा, वही जीतता है जिसे तुम भोजन देते हो।"

सही भेड़िये को पोषण देना

उस क्षण, अलाव और तेज़ी से चटकने लगा। जैसे यह सत्य भी उस आग की तरह चमक रहा हो।
यह लड़ाई सिर्फ एक पुरानी कहानी नहीं है यह हमारे भीतर रोज़ चलती है।

हर बार जब हम क्रोध करते हैं, किसी से जलते हैं, या खुद पर दया करते हैं, तो हम बुरे भेड़िये को खिला रहे होते हैं। लेकिन जब हम क्षमा करते हैं, दया दिखाते हैं, और प्रेम से प्रतिक्रिया करते हैं, तब हम अच्छे भेड़िये को पोषण दे रहे होते हैं।

बुरे भेड़िये को खिलाना आसान होता है, क्योंकि वह अक्सर हमारे डर, दुख और अहंकार से जुड़ा होता है। लेकिन अच्छे भेड़िये को मजबूत करना एक सचेत निर्णय है हर दिन, हर पल।

हर दिन का चुनाव हमारे हाथ में है

सच यह है कि हम सभी के अंदर ये दोनों भेड़िये मौजूद हैं।
और जब हम थक जाते हैं, टूट जाते हैं या भ्रमित होते हैं, तब यह सवाल सबसे महत्वपूर्ण हो जाता है:
आज मैं किस भेड़िये को भोजन दूँगा?

हमारा हर विचार, हर प्रतिक्रिया, हर भावना हमारे चुनाव को दर्शाती है। और यही चुनाव हमारा जीवन बनाता है।

चेरोकी बुज़ुर्ग की यह कहानी हमें यह याद दिलाती है कि हमारे जीवन की सबसे महत्वपूर्ण लड़ाई हमारे भीतर ही लड़ी जाती है। और सबसे बड़ी शक्ति हमारे पास होती है चुनाव करने की।

तो, आप किस भेड़िये को भोजन देंगे?

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