मन को प्रभावित करने वाली 3 शक्तियाँ: समय, संगति और भोजन
तीन अदृश्य शक्तियाँ जो हमारे मन को आकार देती हैं और उनसे ऊपर कैसे उठें
क्या आपने कभी बिना किसी स्पष्ट कारण के अपने मूड को अचानक बदलते हुए महसूस किया है? एक पल में आप उत्साहित होते हैं और अगले ही पल चिंतित या उदास। पहले मैं सोचता था कि यह तो बस ऐसा ही दिन है लेकिन धीरे-धीरे मैंने जीवन की गहराई को देखना शुरू किया।
1. समय – मन का मौन शिल्पकार
समय सिर्फ घड़ी की सुइयाँ नहीं बढ़ाता, यह हमारे विचारों, भावनाओं और ऊर्जा स्तरों को भी गहराई से प्रभावित करता है। हमारे पूर्वजों ने इस पर गहन अध्ययन किया था। उन्होंने देखा कि कैसे चंद्रमा, तारे और ऋतुएँ हमारे मन की स्थिति को बदलती हैं। ताराबल और चंद्रबल जैसे शब्द इसी अध्ययन का परिणाम हैं।
हर ढाई दिन में चंद्रमा एक नक्षत्र से दूसरे नक्षत्र में चला जाता है और इसके साथ ही मन की स्थिति भी बदल जाती है। जब मैंने यह समझा कि मेरी हर भावना मेरी अपनी नहीं होती, बल्कि समय की ऊर्जा का प्रतिबिंब होती है तो एक शांति का अनुभव हुआ।
तो क्या हम अपने मन के गुलाम हैं? नहीं।
मन से ऊपर है बुद्धि। जब बुद्धि मज़बूत होती है, तो वह मन के उतार-चढ़ाव को दिशा देती है। लेकिन जब बुद्धि कमजोर हो जाती है, तब भावनाएँ मन पर हावी हो जाती हैं।
और तब क्या करें?
फिर आता है स्वयं का स्तर।
यहीं पर आता है शिव तत्व का ज्ञान। महाकाल के रूप में शिव समय के स्वामी हैं। जब हम अपने भीतर के शिव तत्व से जुड़ते हैं, तो समय, मूड और भावना का प्रभाव धीरे-धीरे कम होने लगता है। मैंने खुद यह अनुभव किया है—ध्यान, आत्म-निरीक्षण या सिर्फ एक गहरा क्षणिक अनुभव भी अंदर की स्थिति को पूरी तरह बदल सकता है।
2. संगति – वह ऊर्जा जो आप अवशोषित करते हैं
दूसरा बड़ा प्रभाव है संगति।
क्या कभी ऐसा हुआ है कि आप किसी कमरे में घुसे और बिना कुछ कहे ही किसी की ऊर्जा ने आपको थका दिया हो या उत्साहित कर दिया हो? यह कोई संयोग नहीं है, बल्कि ऊर्जा का प्रभाव है।
हम जिनके साथ समय बिताते हैं, उनकी सोच, शब्द और मौन भी हमें प्रभावित करते हैं। अच्छी संगति आत्मविश्वास, सकारात्मकता और प्रेरणा देती है। बुरी संगति ईर्ष्या, क्रोध और भय को जन्म देती है।
अपनी संगति का चयन आत्म-देखभाल है, न कि स्वार्थ।
3. भोजन – भावनाओं का भौतिक कूट
अंत में आता है भोजन। आमतौर पर इसे स्वास्थ्य का मूल माना जाता है, लेकिन मन पर इसका प्रभाव माध्यमिक होता है। यदि समय और संगति संतुलित हैं, तो साधारण भोजन भी मन को विचलित नहीं करता।
लेकिन जब ये तीनों समय, संगति और भोजन संतुलन में होते हैं, तब मन स्थिर, स्पष्ट और प्रसन्न होता है।
जो समय को जानता है, वह देवज्ञ होता है
जो समय को गहराई से समझते हैं उन्हें देवज्ञ कहा जाता है। लेकिन उससे भी ऊपर है ब्रह्मज्ञानी वह जो आत्मा में स्थिर होता है।
ऐसा व्यक्ति समय या मन के प्रभावों से नहीं डगमगाता। बाहर भले ही तूफान हो, अंदर उसका केंद्र स्थिर रहता है। यही है ब्रह्मज्ञान की शक्ति यह जानना कि आप कौन हैं, समय और परिस्थितियों से परे।
मेरा अनुभव
जब मैंने इन तीन स्तंभों समय, संगति और भोजन को समझना शुरू किया, तो मैंने खुद को अधिक सजग, शांत और संतुलित पाया। मैंने समझा कि मेरा मन मेरा स्वामी नहीं है मैं हूँ।
और जब जीवन हिलता हुआ लगे, तो यह टूटना नहीं होता; यह भीतर गहराई से जुड़ने का निमंत्रण होता है।
अगर यह बात आपके मन को छूती है, तो आज कुछ देर ठहरें। स्वयं को देखें। महसूस करें। और याद रखें
आपके भीतर कुछ ऐसा है जिस पर समय का कोई प्रभाव नहीं पड़ता।