आपकी उम्र क्या है? उम्र नहीं, जीवन की गहराई मायने रखती है
अक्सर मेरे शुभचिंतक मुझसे पूछते हैं -"आपकी उम्र क्या है?"
और मैं थोड़ी देर को चुप हो जाता हूँ।
क्योंकि मुझे लगता है, यह सवाल मेरी आत्मा को नहीं, बस मेरे शरीर को पहचानना चाहता है।
मैं कैसे बता सकता हूँ
इस मूर्खतापूर्ण सवाल का जवाब!
जब मैं किसी छोटे बच्चे के साथ खेलता हूँ,
तो मैं एक साल का हो जाता हूँ।
जब मैं कार्टून देखकर मुस्कराता हूँ,
तो मैं तीन साल का हो जाता हूँ।
जब मैं संगीत की धुन पर नाचता हूँ,
तो लगता है मैं सोलह का हूँ।
लेकिन जब मैं किसी दुखी को दिलासा देता हूँ,
उसके ज़ख्मों को भरने की कोशिश करता हूँ,
तो मुझे लगता है कि मैंने ज़िंदगी के छह दशक पार कर लिए हैं।
और जब मैं चिड़ियों से बात करता हूँ,
या अपने कुत्ते के पीछे भागता हूँ,
तो मैं उसकी उम्र का हो जाता हूँ—न कोई गिनती, न कोई सीमा।
तो उम्र में रखा ही क्या है?
क्या ये बस एक संख्या नहीं है?
जैसे सूरज की रोशनी कभी बूढ़ी नहीं होती,
जैसे नदी का पानी लगातार बहता है—
मैं भी उम्रहीन हूँ।
हर अनुभव के साथ मैं बदलता हूँ।
हर पल के साथ मैं नया होता हूँ।
दिन रात की ओर बढ़ रहे हैं,
ये सच है।
और जब भी रात अपना हाथ बढ़ाएगी,
मैं उसे थाम लूंगा—बिना डर, बिना पछतावे।
तब तक मेरी उम्र का कोई मतलब नहीं।
मतलब है कि अब तक मैंने कितना जिया है।
कितना प्यार दिया है।
कितने लोगों के दिल छुए हैं।
और कितनी सच्चाई से मैंने हर लम्हे को अपनाया है।
अंतिम विचार
अगर आपको लगता है कि समाज उम्र को बहुत गंभीरता से लेता है—तो जान लीजिए:
आप एक संख्या नहीं हैं।
आप यादों, अनुभवों और भावनाओं का जीवंत संगम हैं।
चलो हम न पूछें “आपकी उम्र क्या है?”
चलो पूछें—“आज आप कितना जीवित महसूस करते हैं?”